गुप्त काल
• गुप्त वंश के शासक :
• श्रीगुप्त (240 - 280 AD)
• घटोतकच (280 - 319 AD)
• चंद्रगुप्त प्रथम (319 - 350 AD)
• समुद्रगुप्त (350 - 375 AD)
• चंद्रगुप्त 2 (विक्रमादित्य) (375 - 415 AD)
• कुमारगुप्त / महेंद्रगुप्त (415 - 455 AD)
• स्कंदगुप्त (455 - 467 AD)
• विष्णु गुप्त (अंतिम शासक)
• श्रीगुप्त (240 - 280 AD) :
• समुद्रगुप्त के इतिहास प्रसिद्ध प्रयाग प्रशस्ति अभिलेख से
ज्ञात होता है, कि गुप्तो का प्रथम ऐतिहासिक शासक श्रीगुप्त था।
• वंश के प्रथम शासक का नाम केवल गुप्त था, और श्री की उपाधि उसने राजा बनने के बाद धारण की ।
• चंद्रगुप्त प्रथम (319 - 350 AD) :
• यह गुप्त वंश का संस्थापक था ।
• इसने "महाराजाधिराज" की उपाधि धारण की ।
• इसने लिच्छवी राजकुमारी कुमारदेवी से विवाह किया जिससे "समुद्रगुप्त" का जन्म हुआ ।
• इस विवाह की स्मृति में उसने "चंद्रगुप्त कुमारदेवी प्रकार" के सिक्के चलाए, जिन पर एक ओर कुमार देवी और चंद्रगुप्त तथा दूसरी ओर लक्ष्मी का चित्र अंकित था ।
• इनका महत्वपूर्ण कार्य था, राज्यारोहण की तिथि से "गुप्त संवत" चलाना ।
• संवत :
• विक्रमी संवत : मालवा के राजा विक्रमादित्य 57 BC में शक शासक को हराने के कारण शुरू किया ।
• शक संवत : कुषाण शासक कनिष्क ने 78 AD मे अपने राजतिलक के अवसर पर शुरू किया , और यह भारत सरकार का संवत (26 जनवरी 1950) है ।
• गुप्त संवत : यह संवत चंद्रगुप्त प्रथम द्वारा 319 AD मे अपने राजतिलक के अवसर पर शुरू किया ।
• समुद्रगुप्त (350 - 375 AD) :
• यह चंद्रगुप्त प्रथम और कुमारदेवी का पुत्र था ।
• यह गुप्त वंश का सर्वाधिक पराकर्मी शासक हुआ ।
• समुद्रगुप्त के दरबारी कवि हरिषेण ने "चांपुकाव्य शैली" में प्रयाग प्रशस्ति की रचना की ।
• उसे अपनी साम्राज्यवादी नीति के कारण इतिहासकार वी ० ए ० स्मिथ द्वारा भारत के नेपोलियन की संज्ञा दी गई है।
• इसके सिक्को पर वीणा बजाते हुए दिखाया गया है ।
• इनकी उपाधियां - कविराज , धरणीवंध, सर्वराजोच्छेता, परमभागवत , पराक्रमांक
• प्रयाग प्रशस्ति अभिलेख :
• Situated at kashumbi, utter Pradesh
• current situation allahabad fort constructed by akbar.
• written by harishen court poet of harishen.
• in sanskrit language
• written in champukavya style (prose and poetry)
• 33 lines
• about samudrgupt administrate and conqueros
• ऐरण अभिलेख, मध्यप्रदेश :
• samudrgupt inscription describe samudrgupt wife क्षत देवी
• Bhanugupt inscription : firstly sati system describe in this inscription.
• चंद्रगुप्त 2 (375 - 415 AD) :
• Tittle - vikramaditya it's called chandrgupt vikramaditya.
• He was most powerful and glorious rular of gupta Dynasty.
• Real name : chandrgupt 2 , Devraj , Devgupta.
• Other tittle - विक्रमादित्य, शकरी , विक्रम अमांक, परमभागवत, शशांक
• विक्रमादित्य विद्या और संस्कृति के संरक्षक थे , उनके दरबार में नौ विद्वान थे, जिन्हे नौ रत्न भी कहा गया है -
1) कालिदास - साहित्यकार
2) वराहमिहिर - खगोलशास्त्री
3) धनवंतरी - चिकित्सा
4) वेतालभट्ट - जादू
5) अमरसिंह - शब्दकोश
6) वररुचि - व्याकरण
7) क्षणपक - ज्योतिष विज्ञान
8) शंकु - वास्तुकला
9) घटकर्पर - शिल्पकार
• शेक्सपियर ऑफ इंडिया -
• कालिदास - अभिज्ञान शांकुन्तलम
• रघुवंशम
• मेघदूतम
• विक्रमोशर्वियम
• ऋतुसंरहाम
• मालविकाग्निमित्र
• कुमारगुप्त प्रथम (415 - 455 AD) -
• कुमारगुप्त को नालन्दा विश्वविद्यालय की स्थापना का श्रेय दिया जाता है।
• वत्सभट्टी कुमारगुप्त का प्रथम दरबारी कवि था, जिसने प्रसिद्ध मन्दसौर प्रशस्ति की रचना की थी।
• Maximum Inscription Founded of kumar gupta.
• विलसड़ अभिलेख (एटा, उत्तर प्रदेश) : यह कुमारगुप्त के शासन काल का प्रथम अभिलेख है।
• इसने महेन्द्रादित्य एवं श्रीमहेन्द्र की उपाधि धारण की थी।
• इसके सिक्को पर मयूर की आकृति मिलती है।
• Nalanda University(Buddhisam education) Destroyed by md. Bin Bakthiyar.
• स्कंदगुप्त (455 - 467 AD) :
• इसने अपनी राजधानी अयोध्या को बनाया था।
• स्कन्दगुप्त के शासन काल की महत्वपूर्ण घटना थी, इसके समय मे हूणों का आक्रमण हुआ था।
• चन्द्रगुप्त मौर्य द्वारा गिरनार पर्वत पर निर्मित सुदर्शन झील का भी उसने पुनरन्द्धार कराया।
• इसकी अन्य उपाधियाँ - शक्रादित्य, विक्रमादित्य, क्रमादित्य थी।
• गुप्ता वास्तुकला -
• विष्णु मंदिर - तिगवा (जबलपुर, मध्यप्रदेश)
• दशावतार मंदिर - देवगढ़ (झांसी, उत्तर प्रदेश)
• भीतरगांव का मंदिर लक्ष्मण मंदिर ( ईंटो द्वारा निर्मित) - भीतरगांव ( कानपुर, उत्तर प्रदेश)
• अजन्ता की गुफाएँ - कुल 34
• 1 - 12 Buddhism
• 13 -29 Hindu
• 30 - 34 Jainism
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