मौर्य काल

 • Dynasties that ruled magadha-

  2.Brihadratha dynasty

  2.Haryanka dynasty (544 - 412 BC)   

  3.Shishunaga dynasty (412 - 344 BC)

  4.Nanda dynasty (344 - 322 BC) 

  5.Maurya dynasty (322 - 185 BC)




1.बृहद्रनाथ वंश - 

• संस्थापक - बृहद्रथ महाभारत व पुराणों के अनुसार

• जरासंध (son of Brihadratha) :

• पराक्रमी राजा

• कंश को हराया था। 

• राज्य का विस्तार मथुरा तक किया।

• भगवान कृष्ण के कहने पर पाण्डव भीम ने वध किया था। 

• बौद्ध एवं जैन ग्रंथो के अनुसार मगध के शासक


2.हरियंक वंश -

• स्थापना - हर्यक वंश की स्थापना बिम्बिसार ने की थी।

• जैन साहित्य मे इसे श्रेणिक कहा गया है।

• बिम्बिसार ने विजयों तथा वैवाहिक संबंधों के द्वारा वंश का विस्तार किया ।

• बिम्बिसार मे अंग महाजनपद को मगध साम्राज्य मे मिलाया।

• बिम्बिसार ने वैध जीवक को अवन्ति नरेश चन्ड प्रधौत के पाण्डु रोग (पीलिया) के इलाज के लिए अवन्ति भेजा।

• हत्या - पुत्र अजातशत्रु द्वारा


• अजातशत्रु :

• उपनाम - कुणिक

• अपने पिता की हत्या कर राजगद्दी पर बैठा 

• कौशल नरेश प्रसेनजित को हराया।

• लिच्छिवी गणराज्य की राजधानी वैशाली को जीता और दोनो को मगध सम्राज्य का हिस्सा बनाया।

• वज्जी संघ से युद्ध मे दो नये हथियार रथमूसल(टैंक) एवं महाशिला कंटक (पत्थर फेंकने वाला हथियार) का प्रयोग किया एवं वज्जी संघ को भी मगध का हिस्सा बनाया।

• यह गौतम बुद्ध का समकालीन था।

• इसी के समय बुद्ध को महापरिनिर्वाण (मोक्ष) की प्राप्ति हुई। 

• इसके शासन काल मे प्रथम बौद्ध संगीति हुई। 

• हत्या - पुत्र उदयिन द्वारा 


• उदयिन-

• उपनाम - उदय भद्र 

• इसने पाटलिपुत्र (वर्तमान पटना नगर की स्थापना की एवं इसे अपनी राजधानी बनाया), राजगृह से पाटलिपुत्र

• बौद्ध ग्रंथो में इसे पितृ हन्ता कहा गया है।

• यह जैन धर्म का पालन करता था।


3.शिशुनाग वंश - (412-394 BC) :

• संस्थापक - शिशुनाग 

• इसका सबसे मुख्य कार्य अवन्ति राज्य को जीतकर मगध मे मिलाना था। 

• इसने अपनी राजधानी पाटलिपुत्र से वैशाली में स्थानांतरित की।


• कालाशोक (334-366 BC) - 

• उपनाम - काकवर्ण

• इसने राजधानी पुनः पाटलिपुत्र मे स्थान्तरित कर दी।

• इसके शासनकाल मे द्वितीय बौद्ध संगीति का आयोजन हुआ।

• हर्षचरितानुसार, महापदमनन्द मे कालाशोक की हत्या की। 

• नंदिवर्धन महानंदी शिशुनाग वंश का अंतिम शासक था।


4.नंद वंश -

• शिशुनाग वंश के अंतिम शासक महानंदी की हत्या कर महापद्मनन्द ने नन्द वंश की नींव डाली। 

• बैद्ध ग्रंथ महाबोधिवंश मे उसे उग्रसेन पुराणो मे सर्वक्षत्रान्तक तथा एकरात कहा गया ।


• महापद्मनंद :

• अन्य नाम - उग्रसेन, सर्वक्षत्रान्तमक एवं एकरात 

• जैन ग्रंथो के अनुसार महापद्मनंद नाचित-पिता, वैश्या माता का पुत्र था।


• धनानंद -

• यह नंदवंश का अंतिम सम्राट था। 

• पश्चिम साहित्य / यूनानी साहित्य मे इसे अग्रमीज(नाई) कहा गया है। 

• इसके शासनकाल मे सिकन्दर ने भारत पर आक्रमण किया था। 

• नन्द वंश के शासक जैन मत के पोषक थे। 

• चाणक्य की सहायता से चंद्रगुप्त मौर्य ने धनान्द को मारकर मौर्य वंश की स्थापना की।


• Cronology of maurya dynasty-

1) चंद्रगुप्त - 322 - 298 BCE

2) बिन्दुसार - 298 - 272 BCE

3) अशोक - 268 - 232 BCE

4) कुणाल - 232 - 228 BCE

5) दशरथ - 232 - 224 BCE 

6) संप्रति - 224 - 215 BCE

7) शालीशुका - 215 - 202 BCE

8) देववर्मन - 202 - 195 BCE

9) शतधनवन - 195 - 187 BCE

10) बृहद्रथ - 187 - 185 BCE


• चंद्रगुप्त मौर्य (322-298 BC) :

• चंद्रगुप्त मौर्य 25 वर्ष की आयु मे अपने गुरु विष्णुगुप्त की सहायता से नंद शासक धानानंद को गद्दी से हटाकर मगध के सिंहासन पर बैठा। 

• 305 BC मे सीरिया के यूनानी शासक सेल्यूकस को पराजित किया तथा उसने सेल्यूकस की पुत्री हेलेन से विवाह किया।

• चंद्रगुप्त के दरबार मे मेगास्थनीज को राजदूत के रूप मे भेजा। 

• अपने शासन के अंतिम दिनो मे राजकाज को छोड़कर जैन धर्म को स्वीकार कर मैसूर चला गया।

• जैन संत भद्रबाहु को अपना गुरु बना लिया। 

• इन्होंने गुजरात के गिरनार जिले में सुदर्शन झील का निर्माण कराया था।


• बिंदुसार - (208-273 BC) : 

• बिंदुसार को अमित्रघात यानी दुश्मनो का संघार करने वाला कहा जाता है, जिसे यूनानी ग्रंथो मे " Amitro chates" का नाम दिया गया है।

• बिंदुसार आजीवक धर्म को मानता था।

• सीरिया के राजा एन्टियोकस का दूत डाइमेक्स दरबार में आया था।

• Chandragupta Maurya → Son → Bindusar → Son → Ashok "बिन्दुसार एक महान पिता का पुत्र एवं एक महान पुत्र का पिता था"


• सम्राट अशोक (269-232 BC ) :

• उपलब्ध प्रमाणों से ज्ञात होता है कि बिंदुसार के मृत्यु के बाद अशोक और राजकुमारो के मध्य संघर्ष हुआ ।

• इस संघर्ष मे अशोक अपने 99 भाइयों की हत्या कर राजगद्दी प्राप्त कि ।

• अपने शासन के चार वर्षो बाद 269 BC मे राज्याभिषेक करवाया ।

• उसने 261 BC मे कलिंग पर विजय प्राप्त की परंतु भयानक रक्तपात व नरसंहार देखकर वह द्रवित हो उठा और बौद्ध धर्म स्वीकार कर लिया।

• बौद्ध धर्म का प्रचार करने के लिए उसने भिक्षुओं को विदेश भेजा। 

• बिंदुसार अपने पुत्र सुसिम को राजा बनाना चाहता था , लेकिन अशोक ने बिंदुसार के मंत्री ब्रह्मगुप्त की मदद से अपने पिता के मृत्यु के बाद सभी 99 भाईयो को मारकर सिर्फ अपने सगे भाई तिस्स को छोड़कर राजा बना था ।


• 201 BC → kalinga war → Capital - तोशली → king nandraj → 13 inscription described the kalinga war.


• After the kaling war Ashoka accepted Buddhism " Teacher upgupt.


• अशोक ने अपने पुत्र महेन्द्र एवं पुत्री संघमित्रा की बौद्ध धर्म के प्रचार- प्रसार के लिए श्रीलंका भेजा था।


• अभिलेख (Inscription) :

• अशोक अभिलेख - ईसनी शासक दारा - 1 से प्रेरणा

• अशोक अभिलेख की लिपि ब्राह्मणी, खरोष्ठी, आरमेईक लिपि 

• अशोक के अभिलेखो का सबसे पहले टी० पंथैलर 1750 AD मेरठ अभिलेख को खोजा। 

• दिल्ली दटुपरा अभिलेख को 1873 AD जेम्स प्रिनसेप को सबसे पहले पढ़ा गया।


• मेरठ और टुपरा (अंबाला , हरियाणा ) → दिल्ली → फिरोजशाह तुगलक 

 

• अभिलेख : गुहा लेख (गुफा में लेख ) , स्तंभ लेख , शिलालेख (पत्थरों पर लेख ) 

• शिलालेख                       विषय

पहला →इसमें पशुवली की निंदा की गई है 

सातवा और आठवां →इसमें अशोक की तीर्थयात्राओ            का उल्लेख किया गया है ।

ग्यारहवां →इसमें धम्म की व्याख्या की गई है ।

तेरहवां → इसमें कलिंग युद्ध का वर्णन है ।

चौदहवां →जनता को धार्मिक जीवन बताने के लिए प्रेरित ।


• मौर्य काल के महत्वपूर्ण तथ्य :

• मौर्य का प्रधान सिक्का पण था जिसे रूप्य भी कहा जाता था 

• माषक (तांबे) काकणी तथा अर्धमाषक छोटे मूल्य के ताम्र सिक्के होते थे ।

• सुवर्ण (सोना) या निष्क के सिक्के भी प्रचलित थे ।

• भू राजस्व 1/6 वा भाग होता था , इसे बलि कहा जाता था

• राजकीय भूमि को सीता कहा जाता था ।

• अशोक ने सांची का स्तूप बनवाया था ।

• अशोक ने कश्मीर का श्रीनगर शहर बनवाया ।


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