दिल्ली सल्तनत
* दिल्ली सल्तनत (1206 - 1526) :
• गुलाम वंश (1206 - 1290 AD)
• खिलजी वंश (1290 - 1320 AD)
• तुगलक वंश (1320 - 1414 AD)
• सैय्यद वंश (1414 - 1451 AD)
• लोदी वंश (1451 - 1526 AD)
• भारत में इस्लाम आक्रमण :
• 712 ई० मे मोहम्मद बिन कासिम ने सिन्ध पर सफल आक्रमण किया।
• अरब आक्रमण के समय सिन्ध पर दाहिर का शासन था।
• भारत पर अरब वासियो के आक्रमण का मुख्य उद्देश्य धन-दौलत लूटना तथा इस्लाम धर्म का प्रचार प्रसार करना था।
• मुहम्मद गजनी (गजनवी) -
• यामिनी वंश का संस्थापक अल्पतगीन था।
• अपने गजनी को अपनी राजधानी बनाया।
• अल्पतगीन का गुलाम तथा दामाद सुबुक्तगीन 977 ई० मे गजनी की गद्दी पर बैठा।
• महमूद गजनी सुबुक्तगीन का पुत्र था, जिसका जन्म 1 नवंबर 971 ई० मे हुआ था।
• मुहम्मद गजनी द्वारा 1000 से 1030 AD तक भारत में कुल 17 आक्रमण किए गए ।
• तुर्क आक्रमण -
• प्रथम तुर्क आक्रमण के समय पंजाब में शाही वंश का शासक जयपाल शासन कर रहा था।
• महमूद गजनी ने 1000-1030 में मध्य भारत पर कुल 17 बार आक्रमण किया था।
• उसके इस आक्रमण का उल्लेख विद्वान हेनरी इलियट ने किया है।
• महमुद गजनी का सबसे चर्चित आक्रमण 1025 AD मे सोमनाथ मंदिर (सौराष्ट्र) पर हुआ।
• उस समय वहाँ का शासक भीम प्रथम था।
• महमूद गजनी का प्रथम भारतीय आक्रमण 1027 ई0 मे जाटों के विरुद्ध था ।
• "सुलतान" की उपाधि धारण करनेवाला प्रथम शासक महमूद गजनी था।
• महमूद गजनी के दरबार मे विभिन्न विद्वान रहते थे-
अलबरूनी - किताबुल हिंद
फिरदैसी - शाहनामा
उत्बी - तारीख ए यामिनी
फर्रुखी
• महमूद गजनी की मृत्यु 1030 ई० में हो गयी।
• गौर वंश - गौर , अफगानिस्तान
• मोहम्मद गौरी 1173 AD में गौर वंश का शासक बना।
• मोहम्मद गौरी द्वारा भारत पर प्रथम आक्रमण 1175 AD मुल्तान ( पाक ) पर हुआ था ।
• भारत में मोहम्मद गौरी के प्रसिद्ध युद्ध :
1) तराइन का प्रथम युद्ध ( 1191 AD) : मोहम्मद गौरी और पृथ्वीराज चौहान के बीच , इस युद्ध में पृथ्वीराज चौहान की जीत हुई थी ।
2) तराइन का दूसरा युद्ध (1192) : मोहम्मद गौरी और पृथ्वीराज चौहान के बीच , इस युद्ध में इस युद्ध में मोहम्मद गौरी की जीत हुई ।
• इसी युद्ध के बाद भारत में मुस्लिम शासन की शुरुआत हुई ।
3) चंदावर का युद्ध (1194) : मुहम्मद गौरी और जयचंद (कन्नौज) के बीच ।
• मुहम्मद गौरी के सिक्को पर एक ओर कलमा खुदा रहता था तथा दूसरी ओर लक्ष्मी की आकृति अंकित रहती थी।
• 1205 AD मे मोहम्मद गौरी पुनः भारत आया और इस बार उसका मुकाबला खोखरो से हुआ।
• 13 मार्च 1206 AD को उसकी मृत्यु हो गई।
• 1206 AD में गौरी की मृत्यु के बाद कुतुबुद्दीन ऐबक ने भारत में नई वंश की नींव डाली जिसे "गुलाम वंश" कहा गया है ।
• गुलाम वंश (1206 - 1290 AD) :
• कुतुबुद्दीन ऐबक (1206 - 1210) :
• कुतुबुद्दीन ऐबक को भारत मे तुर्की राज्य का संस्थापक माना जाता है।
• वह दिल्ली का प्रथम तुर्क शासक था।
• सिंहासन पर बैठने पर उसने सुल्लतान की उपाधि नहीं ग्रहण की बल्कि केवल मालिक और "सिपहसालार"की पदवियों से ही संतुष्ट रहा।
• ऐबक ने न अपने नाम के खुतबा पढ़वाया और न ही अपने नाम के सिक्के चलाए ।
• बाद मे गौरी के उत्तराधिकारी गियासुद्दीन ने उसे सुलतान स्वीकार किया।
• इसे दासता से मुक्ति 1208 मे मिली थी।
• ऐबक ने 1206 - 1210 तक लगातार लाहौर से ही शासन संचालन किया।
• लाहौर ही इसकी राजधानी थी।
• वह लाखों में दान दिया करता था, तथा अपनी असीम उदारता के लिए उसे "लाखबख्श" कहा गया।
• 1210 ई० मे चैगान खेलते समय घोड़े से अचानक गिर जाने के कारण उसकी मृत्यु हो गई।
• एबक का उत्तराधिकारी उसका अनुभवहीन व अयोग्य पुत्र आरामशाह था, किन्तु इल्तुतमिश मे इसे अपदस्थ करके सिंहासन पर अधिकार कर लिया।
• दिल्ली का कुतुबमीनार कुतुबुद्दीन बख्तियार क्वाकी (सूफी) की याद में कुतुबुद्दीन ऐबक द्वारा बनाने की शुरू हुई ।
• अढ़ाई दिन का झोपड़ा (मस्जिद) , अजमेर , कुतुबुद्दीन ऐबक ने बनवाई थी।
• शमशुद्दीन इल्तुतमिश ( 1211 - 1236 AD ) :
• इल्तुतमिश का अर्थ साम्राज्य का स्वामी है।
• इल्तुतमिश इलबरी तुर्क था।
• उसका पिता ईलाम खां इलबरी जनजाति का सरदार था।
• वह दिल्ली का प्रथम शासक था, जिसने सुलतान की उपाधि धारण कर स्वतंत्र सल्तनत को स्थापित किया ।
• इसने कुतुबमीनार को बनवाकर पूरा किया ।
• इसने चांदी के "टका" तथा तांबे के "जीतल" का प्रचलन किया एवं दिल्ली में टकसाल स्थापित किये थे ।
• इसने इक्ता व्यवस्था को शुरू की ।
• दिल्ली को राजधानी बनाने वाला प्रथम सुलतान इल्तुतमिश ही था।
• राजिया सुल्लतान (1236 - 1240 AD ) :
• राजिया सुलतान इल्तुतमिश की पुत्री थी ।
• रजिया सुल्तान दिल्ली की प्रथम और अंतिम महिला शासक थी।
• 1240 AD करनाल में रजिया सुल्तान की मृत्यु हो गई ।
• ग्यासुद्दीन बलबन (1265 - 1286 ) :
• सिंहासनरूढ होने के बाद उसने सुलतान ग्यासुद्दीन की उपाधि धारण की ।
• बलबन सिल्ली सल्तनत का एकमात्र ऐसा सुलतान है जिसने राजत्व के विषय में विचार स्पष्ट रूप से रखे ।
• बलबन ने जिल्ले इलाही (ईश्वर की छाया) की उपाधि धारण की।
• उसने दरबार में ईरानी आदर्शो को स्थापित किया "सिजदा" और "पाबोस" की प्रथा शुरू की।
• इसने ईरानी त्योहार "नौरोज" को मनाना प्रारंभ किया ।
• इसने चालीसा दल की विघटन किया ।
• बलबन द्वारा IRON AND BLOOD POLICY अपनाई गई ।
• बलबन ने दिल्ली के लाल महल का निर्माण करवाया था।
• खिलजी वंश (1290 - 1320 AD) :
• जलालुद्दीन फिरोज खिलजी (1290 - 1296 AD) :
• यह खिलजी वंश का प्रथम सुलतान था ।
• 1290 में जलालुद्दीन खिलजी ने खिलजी वंश की नीव रखी ।
• इसने दिल्ली के ही समीप किलोखरी महल में अपना राज्यभिषेक किया था, और जिस समय वह सुलतान बना उस समय वह 70 वर्ष की आयु का था ।
• अलाउद्दीन खिलजी (1296 - 1316 ) :
• इसका वास्तविक नाम अली गुरपी था।
• इसका राज्यारोहण दिल्ली में स्थित बलबन के महल में हुआ।
• इसने सिकंदर ए सानी की उपाधि धारण की।
• इसने घोड़े को दागने की प्रथा , सैनिकों का हुलिया रखने की प्रथा और सेना को नकद वेतन देने की शुरुआत की।
• इसने गृहकर घरी और चराई कर चरी नए कर लगाए ।
• इसके द्वारा बनाया गया "अलाई दरवाजा" प्रारंभिक तुर्की कला का एक श्रेष्ठ नमूना माना जाता है ।
• इसने सीरी के लिए हजार खंभा महल का निर्माण किया ।
• दीवान ए वजारत : वित्त विभाग
• दीवान ए इंशा : कार्यशाही आदेशों और पत्रों का प्रारूप तैयार करना
• दीवान ए आरिज : सैन्य मंत्री
• दीवान ए रसालत : विदेशी राजदूतों से संपर्क रखना
• मुहतासिब : बाजारों पर नियंत्रण और नाप तौल का निरीक्षण
• बरीद ए मुमालिक : गुप्तचर विभाग का प्रमुख अधिकारी
• चित्तौड़गढ़ का आक्रमण (1303) :
• इसका नाम इसने अपने पुत्र खिजर खान के याद में बदलकर खिजराबाद रख दिया
• चित्तौड़गढ़ का राजा रावल रत्न सिंह और रानी पद्मावत थी, इनकी प्रेम कथा पद्मावत मालिक मुहम्मद जायसी के द्वारा अवधि भाषा में लिखी गई है ।
• हजार दिनारी या मल्लिक काफुर :
• हजार दिनारी (अलाउद्दीन खिलजी का सेनापति) जिसने अलाउद्दीन खिलजी के लिए दक्षिण भारत पर कब्ज़ा कर लिया।
• मालिक काफूर को 1000 दिनार में गुजरात से नुशरत खान (अलाउद्दीन ख़िलजी का सेनापति) द्वारा खरीदा गया था।
• वारंगल किंगडम (1309) रुद्र प्रताप देव राय द्वारा शासित काकतीय राजवंश को मलिक काफूर ने हराया।
• रुद्र प्रताप देव राय ने मालिक कफूर को कोहिनूर हीरा गिफ्ट में दिया ।
• अमीर खुसरो :
• इसका जन्म पटियाली , कासगंज , उत्तरप्रदेश में हुआ था
• हिन्दी को बहुत अधिक प्रसिद्ध बनाया।
• He shown 7 rules of Delhi sultanate.
• तोता ए हिंद
• तुगलक वंश (1320 - 1414 AD)-
• दिल्ली सल्तनत में सबसे ज्यादा समय तक इसी वंश का शासन था ।
• गयासुद्दीन तुगलक (1320-1325 AD) -
• खुशरव शाह की हत्या करके गाजी मलिक अथवा तुगलक गाली गयासुद्दीन तुगलक 1320 ई० में दिल्ली का सुल्लतान बना।
• इसने सिंचाई के लिए कुएँ एवं नहरों का निर्माण करवाया
• नहरों का निर्माण करनेवाला ग्यासुद्दीन प्रथम शासक था।
• ग्यासुद्दीन तुगलक ने दिल्ली के समीप स्थित पहाड़ियों पर "तुगलकाबाद" नाम का एक नया नगर स्थापित किया।
• रोमन शैली में निर्मित इस नगर में एक दुर्ग का निर्माण भी हुआ।
• इस दुर्ग को छप्पनकोट के नाम से भी जाना जाता है।
• गयासुद्दीन का अंतिम सैन्य अभियान बंगाल के विद्रोह का दमन था।
• ग्यासुद्दीन तुगलक की मृत्यु 1325 ई० मे बंगाल के अभियान से लौटते समय जूना खाँ द्वारा निर्मित लकड़ी के महल मे दबकर हो गई।
• मोहम्मद बिन तुगलक (1325 - 1351) -
• गयासुद्दीन तुगलक की मृत्यु के बाद उसका पुत्र जुना खां मुहम्मद बिन तुगलक के नाम मे दिल्ली की गद्दी पर बैठा ।
• अपने क्रूर कृत्यों एवं दूसरों के सुख-दुख के प्रति अपेक्षा का भाव रखने के कारण उसे " स्वप्नशील, "पागल" तथा रक्त पिपासु कहा गया है।
• उसके शासनकाल में 1333 ई० मे अफ्रीकी (मोरक्को) यात्री इब्नतूता भारत आया था।
• इस यात्री ने मुहम्मद तुगलक के समय की घटनाओं को अपनी पुस्तक रेहला में उल्लेख किया है।
• सुलतान ने इसे दिल्ली का काजी नियुक्त किया।
• मोहम्मद बिन तुगलक ने कृषि के विकास के लिए अमीर-ए-कोही नामक एक नवीन विभाग की स्थापना की।
• मोहम्मद बिन तुगलक दिल्ली सल्तनत का पहला सुलतान था जिसे हिंदुओ के त्योहार होली में भाग लिया ।
• इसने अपनी राजधानी दिल्ली से देवगिरी में स्थानांतरण की और इसका नाम दौलताबाद रखा ।
• सांकेतिक मुद्रा के अंतर्गत मुहम्मद बिन तुगलक ने कांसा (फरिश्ता के अनुसार) , तांबा (बरूनी के अनुसार) धातुओं के सिक्के चलवाए, जिनका मूल्य चांदी के रुपए टंका के बराबर होता था।
• मोहम्मद बिन तुगलक ने निजामुद्दीन औलिया दरगाह का निर्माण करवाया ।
• मुहम्मद बिन तुगलक की मुख्य योजनाएं :
1) दोआब में कर वृद्धि (1326 - 1327 AD)
2) देवगिरी को राजधानी बनाना (1326 - 1327 AD)
3) सांकेतिक मुद्रा का प्रचलन (1329 - 1330 AD)
4) खुरासन पर आक्रमण
5) कराचिल का अभियान
• मुहम्मद बिन तुगलक के शासनकाल में दक्षिण में हरिहर और बुक्का नामक दो भाईयो ने 1326 AD में स्वतंत्र राज्य विजयनगर की स्थापना की ।
• महाराष्ट्र में अलाउद्दीन बहमन शाह ने 1347 AD में स्वतंत्र बहमन राज्य की स्थापना की ।
• मुहम्मद बिन तुगलक की मृत्यु 20 मार्च 1351 AD को सिंध जाते समय थट्टा के निकट गोडाल में हो गई।
• इसकी मृत्यु पर इतिहासकार बदायूंनी लिखता है - "अंततः लोगो को उससे मुक्ति मिली और उसे लोगो से"
• फिरोजशाह तुगलक (1351 - 1388) :
• मोहम्मद बिन तुगलक के बाद उसके चचेरा भाई फिरोज तुगलक का राज्यभिषेक थट्टा के नजदीक 20 मार्च 1351 AD को हुआ ।
• पुनः फिरोज का राज्याभिषेक दिल्ली में अगस्त 1351 AD को हुआ।
• फिरोज तुगलक ब्राह्मणों पर जजिया कर लागू करनेवाला पहला मुसलमान शासक था।
• फिरोज तुगलक ने एक नया कर सिंचाई कर भी लगाया जो उपज का 1/10 भाग था ।
• फिरोज ने अपने शासनकाल मे 24 करो को समाप्त कर केवल चार कर को वसूल करने का आदेश दिया -
1) खराज (लगान)
2) खुम्स (युद्ध मे लूट का माल)
3) जजिया (सुरक्षा के लिए जो मुस्लिम नही है)
4) जकात (मुस्लिम से लिया जाता)
• इसके शासनकाल मे खिजाबाद ( टोपड़ा डाँव) एवं मेरठ से दो अशोक के स्तंभों को लाकर दिल्ली में स्थापित किया गया।
• फिरोजशाह तुगलक 300 नये नगरों की स्थापना की, इनमें हिसार, फिरोजाबाद, फतेहाबाद, जौनपुर, फिरोजपुर प्रमुख है।
• सुलतान फिरोज तुगलक ने आनाथ मुस्लिम महिलाओं, विधवाओं एवं लड़कियो की सहायता के लिए एक नये विभाग दीवान-ए-खैरान की स्थापना की।
• दासों की देखभाल के लिए फिरोज ने एक नए विभाग दीवान-ए-बंदमान की स्थापना की।
• इसने सैन्य पदो को वंशानुगत बना दिया।
• उसने अपनी आत्मकथा फतूहात- ए- फिरोजशाही की रचना की।
• इसमे जियाउद्दीन बरनी एवं शम्स-ए-शिराज अफीफ को अपना संरक्षण प्रदान किया।
• इसने चाँदी एवं ताँबे के मिश्रण से निर्मित सिक्के भारी संख्या मे जारी करवाए , जिसे अद्धा एवं भीख कहा जाता है।
• सुल्लतान फिरोज तुगलक ने दिल्ली में फिरोजशाह कोटला दुर्ग का निर्माण करवाया।
• उसकी मृत्यु सितंबर 1388 AD को हो गयी।
• नसीरुद्दीन मोहम्मद तुगलक (1398 AD) :
• तुगलक वंश का अंतिम शासक नसीरुद्दीन मोहम्मद तुगलक था।
• इसका शासन दिल्ली से पालम तक ही रह गया था।
• तैमूलंग ने सुल्लतान नसिरुद्दीन महमूद तुगलक के समय 1398 AD मे दिल्ली पर आक्रमण किया।
• लोदी वंश (1451 - 1526 AD) -
• बहलोल लोदी (1451 - 1489 AD) :
• लोदी वंश का संस्थापक बहलोल लोदी था।
• वह 19 अप्रैल 1451 AD m को "बहलोल शाहगाजी" की उपाधि से दिल्ली के सिंहासन पर बैठा।
• दिल्ली पर प्रथम अफगान राज्य की स्थापना का श्रेय बहलोल लोदी को दिया जाता है।
• उसने बहलोल सिक्के का प्रचलन कराया।
• बहलोल लोदी की मुख्य सफलता जौनपुर (1484 AD) राज्य को दिल्ली सल्लतनत मे सम्मिलित करने की थी।
• 38 वर्ष शासन करने के बाद 1489 ई० मे उसकी मृत्यु हो गयी।
• बहलोल लोदी दिल्ली सल्तनत में सबसे अधिक समय तक शासन करनेवाला शासक था ।
• सिकंदर लोदी (1489 - 1517 AD) :
• बहलोल लोदी का पुत्र निजाम खां 17 जुलाई 1489 AD मे "सुलतान सिकंदर शाह" की उपाधि से दिल्ली के सिंहासन पर बैठा ।
• 1504 AD मे उसने आगरा नगर की स्थापना की।
• वहाँ पर उसने एक किले का भी निर्माण करवाया जो "बादलगढ़ का किला" के नाम से मशहूर था।
• 1506 AD मे आगरा को सिकंदर ने राजधानी बनाई।
• भूमि के मापन के लिए प्रमाणिक पैमाना गजे सिकंदरी का प्रचलन सिकंदर लोदी ने किया।
• एक गज प्राय: 30 इंच का होता था।
• इसी उपनाम से "गुलरूखी" शीर्षक से फारसी कविताएँ लिखनेवाला सुल्लतान सिकंदर लोदी था।
• इसने मुस्लमानो को ताजिया निकालने पर प्रतिबंध लगा दिया।
• सिकंदर लोदी के वजीर द्वारा मोठ की मस्जिद का निर्माण करवाया गया ।
• गले की बीमारी के कारण सिकंदर लोदी की मृत्यु 21 नवंबर 1517 AD को हो गयी।
• इब्राहिम लोदी (1517 - 1526) :
• सिकंदर की मृत्यु के बाद उसका ज्येष्ठ पुत्र इब्राहिम "इब्राहिम शाह" की उपाधि से आगरा के सिंहासन पर बैठा
• 1517 - 1518 AD में इब्राहिम लोदी व राणा सांगा के मध्य युद्ध हुआ , जिसमे लोदियो की हार हुई ।
• सरदारों में पंजाब का शासक "दौलत खां लोदी" और इब्राहिम लोदी के चाचा "आलम खां" ने काबुल के तैमूर वंश के शासक बाबर को भारत पर आक्रमण करने के लिए निमंत्रण दिया ।
• 21 अप्रैल 1526 AD को पानीपत के प्रथम युद्ध में इब्राहिम लोदी बाबर से हार गया, इस युद्ध में वह मारा गया।
• सैय्यद वंश (1414 - 1451) :
• इस वंश के संस्थापक खीजर खान (तैमूर लंग का सेनापति) था।
• मुबारक शाह , याहिया बिन सिरहिंदी ( तारीख ए मुबारकशाही ) का राज्य कवि था।
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